Tuesday 31 May 2011

चाहिए

हो गई दर्द की इंतहा, मोहब्बत का मरहम चाहिए

दिखे न दिखे महबूब, खुदा का चेहरा दिखना चाहिए


-राजेश रावत,  अक्षय

उज्जैन 

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