Sunday 18 September 2011

रफ़ी साहब की मख़मली आवाज़ में एक अविस्मरणीय गुजराती ग़ज़ल


-----------------------------------------------------
साभार ब्लॉग सुखनसाज

अख़्तरीबाई फ़ैज़ाबादी यानी बेगम अख़्तर की ये गुजराती ग़ज़ल.

में तजी तारी तमन्ना तेनो आ अंजाम छे
के हवे साचेज लागे छे के तारू काम छे
--------------------------------
साभार : • ब्लॉग सुखनसाज
--------------------------

Saturday 17 September 2011

ट्रेसी चैपमैन 4 - एट दिस पौइंट इन माई लाइफ


----------------------------
shabar- kabadkhanna

ट्रेसी चैपमैन 5 - द प्रॉमिस


-------------
shabar kabadkhaana

ट्रेसी चैपमैन 3 - ओवर इन लव


--------------------
shabar - kabadkhanaana

ट्रेसी चैपमैन 2 - आई एम यूअर्स


-----------------------------------------------
shabar _kabadkhanna

ट्रेसी चैपमैन 1 - द ब्रिजेज़ वी बर्न कम बैक वन डे टू हौंट यू


-------------------------------
sabhar kabadkhaana
---------------------------

ट्रेसी चैपमैन


-------------------------------------------------------------------
sabhar kabadkhaana
-------------------------
शानदार आवाज़ में एक प्रेमगीत 'द प्रॉमिस'.

Wednesday 14 September 2011

इंशा जी के दो कबित (कबित्त)


---------------------------------------------
sabhar kabadkhaana

एक्सक्यूज़ मी फ़ॉर नॉट डाइंग


-----------------------------------
लेनर्ड कोहेन की लन्दन कन्सर्ट से कुछ हिस्से
sabhar.khabadkhaana

Tuesday 13 September 2011

प्रस्तुत है आबिदा परवीन का गाया यह मधुर गीत

http://www.facebook.com/pages/Esnips/157184544327889

गायक बीरा आशिक़ (आशिक़ अली खाँ पेशावर वाले)

नमूने के बतौर क्रमशः राग बहार, कामोद और यमन में ख़याल की बंदिशें पेश हैं. sabhar.kabadkhaana
-----------------------------------------------------------

-----------------------------------------------------------------------------

---------------------------------------------------------------------------

------------------------------------------------------------------------

न किसी का आंख का नूर हूं


-------------------------------------------------------------------------------
sabhar kabadkhaana

किसी आंख को सदा दो किसी ज़ुल्फ़ को पुकारो

पटियाला घराने के मशहूर गायक उस्ताद हामिद अली ख़ान साहब की यह ग़ज़ल. sabhar.kabadkhaana
------------------------------------------------------------

सैक्सोफ़ोन पर शास्त्रीय जुगलबन्दी

यान गारबारेक नॉर्वेजियाई मूल के संगीतकार हैं. यान गारबारेक ने १९९२ में उस्ताद बड़े फ़तेह अली ख़ां साहब के साथ एक अल्बम तैयार किया था Ragas and Sagasप्रस्तुत है
-sabahar.kabadkhaana
---------------------------------------------------------

पं.कुमार गंधर्व का गाया राग मालकौंस -sabhar kabaadkhanana

बहुत विख्यात गीत 'माटील्डा'. पूरा सुनिएगा!

You don't bring me flowers anymore


----------------------------------------------------------
नील डायमंड मेरे चहेते गायकों में एक हैं। दुनिया के सबसे सफल गायकों में गिने जाने वाले नील के रेकॉर्ड्स बिक्री के मामले में सिर्फ़ एल्टन जॉन और बारबरा स्ट्राइसेन्ड से पीछे हैं। १९६० के दशक से लेकर १९९० के दशक तक एक से एक हिट गाने देने वाले नील इस गीत में बारबरा स्ट्राइसेन्ड का साथ दे रहे हैं। बारबरा स्ट्राइसेन्ड एक बेहद संवेदनशील अभिनेत्री के तौर पर भी जानी जाती रही हैं। एलेन और मर्लिन बर्गमेन के साथ नील के लिखे इस गीत के बोल ये रहे:

Saturday 10 September 2011

ऐ इश्क हम तो अब तेरे क़ाबिल नहीं रहे

आबिदा _sabhar kabaadkhana
-------------------

------------------------------------
२००६ में आशा भोंसले ने यूनीवर्सल रेकॉर्डस से 'कहत कबीर' संग्रह जारी किया था. आशा भोंसले की आवाज़ में कबीर को सुनना बहुत सुखद अनुभव था. इस संग्रह से आपको सुनवाता हूं अपना पसंदीदा पीस. वैसे तो यह रचना आज से दो साल से अधिक समय पहले कबाड़ख़ाने पर लगाई जा चुकी है पर अब उसके प्लेयर ने काम करना बन्द कर दिया है. आनन्द लीजिए -sabhar-kabaadkhana

------------------------------------------------
फ़ैज़ साहब की इस नज़्म के इक़बाल बानो द्वारा गाये जाने के पीछे यह विख्यात है कि ख़ुद फ़ैज़ साहब इसे उनकी आवाज़ में सुनकर रो दिये थे.प्रस्तुत है यह अलौकिक, एक्सक्लूसिव रचना:sabhar·kabadkhana

------------------------------------
एक आदिम कराह! दर्द की! यह ईसा को सूली पर चढ़ाए जाते समय के दृश्य का संगीत है फ़िल्म 'द लास्ट टैम्प्टेशन ऑफ़ क्राइस्ट' से: