Wednesday 3 August 2011

योगी बाबा बनाम कसरती बाबा

मुझे याद है स्कूल के दिनों में पीटी का एक पीरियड लगता था। जिसमें सभी को हल्की -फुल्की कसरत कराई जाती थी। उसके बाद मोहल्ले में एक योग शिविर लगा था। जिसमें भी उसी तरह की और उससे थोड़ी कठिन कसरत कराई जाती थी। एक सप्ताह में मोहल्ले के सभी लोग सुबह साढ़े पांच बजे जागकर योग शिविर में अपनी अपनी दरी या चटाई लेकर पहुंच जाते थे। मां-बाप बच्चों को लेकर आते थे। ताकि वे भी योग करके तंदरुस्त बन सकें।

मोहल्ले के एक शिविर में दस साल के बच्चे से लेकर साठ -सत्तर साल के दादाजी तक भाग लेते थे। पूरा मोहल्ला योगमय हो गया था। अल सुबह से योग का जो सिलसिला शुरू होता तो सोने तक उसकी चर्चा घरों में किसी न किसी रूप में चलती रहती थी। अगले दिन योग शिविर में योग करने से हुए फायदे का आदान-प्रदान पूरे मोहल्ले के लोगों को बीच करना शगल बन गया था।

एक सप्ताह के बाद कुछ लोग पार्क में आकर योग करते थे और अपने शरीर पर इसके चमत्कारी प्रभाव की जानकारी अन्य लोगों को देते थे। जो नियमित तौर पर नहीं कर पाते थे वे अंदर ही अंदर इस बात से कुपित होते थे। लेकिन अपने आलस्य के आगे विवश हो जाते थे। सालों से योग को जानने वाले मेरे ज्ञान को बाबा रामदेव नाम के एक शख्स ने न सिर्फ बढ़ाया था बल्कि योग के प्रति आस्था भी जगा दी थी। पूरे देश के साथ ही मैं भी बाबा रामदेव के योग आसानों का मुरीद हो गया था।

लेकिन बाबा रामदेव ने विदेश में जमा काले धन को देश में लाने के नाम पर अनशन शुरू किया और करीब पांच दिनों उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया । इस खबर ने मुझे देश के करोड़ों लोगों की तरह हिला दिया था। इसलिए नहीं कि बाबा अस्पताल में गए। बल्कि इसलिए कि योग के महारथी का शरीर पांच दिन भी निर्जला नहीं रह सका। जबकि मेरी मां या पत्नी तो एक साथ नौ दिनों तक नवरात्र के व्रत करती हैं और उन्हें कभी भी अस्पताल में भर्ती नहीं कराना पड़ता है। यह अलग बात है कि वे पानी या दूध ले लेती हैं। इसी तरह के देश के अनेक लोग नवरात्र में कुछ न कुछ लेकर व्रत करते हैं और बीमार भी नहीं होते हैं।

बाबा रामदेव योग महारथी हैं तो उनका शरीर इतना कमजोर तो नहीं होना चाहिए कि पांच दिन की भूख भी सहन न कर सके। टीवी पर उनका चेहरा और अस्पताल में लचर अवस्था की तस्वीरे देखने के बाद करोड़़ों भारतीयों के मन में एक सवाल आने लगा कि क्या बाबा को योग में महारत हासिल थी या केवल कसरत को वे योग का आवरण पहनाकर भुना रहे थे।

हैल्थ क्लब के संचालक की तरह योग के नाम का इस्तेमाल करके शरीरिक व्याधियों को दूर किया और अपने उत्पाद को बेचने वाले व्यापारी की तरह मुनाफा कमाकर करोड़ों के आसामी बन गए। मुझे उनके करोड़पति बनने से कोई आपत्ति नहीं है। मेरी नाराजगी इस बात से है कि बाबा रामदेव ने कसरत को योग का नाम दिया योग को बदनाम किया। बाबा ने मेरी योग के प्रति आस्था को दोहन करके धोखा दिया है। उनका भांडा अब फूट गया है।

कसरत करें या कराएं इससे मुझे को आपत्ति नहीं है। क्योंकि योग में धैर्य को धारण करने की शक्ति का विकास किया जाता है। बाबा केंद्र सरकार से अपनी बात मनवाने के लिए धैर्य नहीं रख सके और जल्दी ही अपने आंदोलन और अपने नाम को लोकप्रिय बनाने के लालच के कारण सरकार के कोप का भाजन बन गए। योग में हठ योग को एक शाखा के रूप में देखा जा सकता है।

लेकिन हठ योग को बीमारी या व्याधि को दूर करने के लिए किया जाता है तो उत्तम होता है। बाबा ने धैर्य के स्थान पर हठ को अस्त्र बनाने का प्रयास किया और विफल हो गए। पहले उन्हें मेरा समर्थन बिना किसी हिचकिचाहट के मिलता था। अब उनसे मुझे सहानुभूति तक नहीं है। क्योंकि उन्होंने मेरे भरोसे को छला है। इसलिए सभी को योग के नाम पर होने वाले किसी भी शिविर से जुडऩे से पहले पूरी पड़ताल करनी होगी। ताकि कसरत वाले बाबा केवल कसरत ही करवाएं योग नहीं । जिससे उनका दूर का भी वास्ता नहीं होता है।

राजेश रावत, भोपाल

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