Tuesday 23 August 2011

चली अन्ना की रेल . . . .

जन लोकपाल की चली रेल
मन की कूटनीति हो गई फेल

देश में नहीं अन्ना का मेल
नेताओं का हुआ खत्म खेल

इरादों के आगे बौना हुआ जेल
तिहाड़ के आगे मची थी रेलमपेल

रामलीला में लगी थी सेल
जहां थी विचारों की भेल

नेताओं को जनता रही ठेल
पुलिस पिला रही डंडों को तेल

किरण को तंत्र रहा था झेल
केजरीवाल ने पकड़ी मन की टेल

परेशान मन पहुंचे अन्ना के दल
दुनिया ने देखा भारत का बल

राजेश रावत, भोपाल
23 अगस्त 2011

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