Wednesday 3 August 2011

तीन पत्ती का खेल

तीन पत्ती का देखा खेल
चलती ट्रेन में खूनी खेल

डिब्बे में शुरू हो गया जुएं का खेल
पुराने शौकिन सैनिकों का हो रहा था खेल

हारने वाला जीतने खेलता खेल
जीतने वाला भी जोश में आता देख खेल

दोनों मिलकर खेलते खेल
एक को हारना निश्चित है खेल

ऐसा रोग है यह खेल
एक धुन का होता है यह खेल

न भीम बचे न ही अर्जुन
अपने ही अभिमान हारे युधिष्ठिर खेल

उनका सुख-चैन कम करता गया खेल
दुर्योधन की कुबुद्धि जीत गया खेल

पंचाली के आरमानों के ले गया खेल
श्रीकृष्ण ने भी खेला था अपना खेल

सौ कौरवों को लील गया था खेल
पांडवों का भी सब कुछ लील गया था खेल
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राजेश रावत भोपाल
4 अगस्त 2011

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